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मनुष्य के दिल का वजन कितना होता है?

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मनुष्य के दिल का वजन कितना होता है?            आइये जानते हैं मनुष्य के दिल का वजन कितना होता है और दिल से जुड़ी कुछ ख़ास बातें। दिल से जुड़ी कहानियां तो हमने बहुत सुनी है लेकिन दिल का हमारे शरीर में क्या महत्त्व है और ये कैसे काम करता है, इससे जुड़ी जानकारी आपके लिए फायदेमंद होने के साथ रोचक भी हो सकती है। मनुष्य के दिल का वजन कितना होता है? एक सामान्य वयस्क मनुष्य के दिल का वजन करीब 11 औंस यानी 310 ग्राम होता है। एक सामान्य वयस्क का दिल प्रति मिनट 72 बार धड़कता है और इस तरह एक दिन में दिल एक लाख बार धड़कता है और अगर एक साल की बात करे तो दिल छत्तीस लाख बार धड़कता है। शरीर में एक मिनट से भी कम समय में हर सेल तक ब्लड पहुंचाने का काम दिल ही करता है। दिन में करीब 1 लाख बार धड़कने वाला दिल 2000 गैलन यानी करीब 7600 लीटर ऑक्सीजन युक्त ब्लड शरीर के सारे अंगों तक पहुंचाता है ताकि शरीर की हर क्रिया सामान्य रूप से चलती रहे और ब्लड को शरीर के हर हिस्से में फैलने में लगभग 20 सेकंड का ही समय लगता है। आपने भी सुना होगा कि हंसने से स्ट्रेस दूर होता है। असल में इसका सम्बन्ध हमारे दिल से जुड़
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                   ब्रह्माण्ड का सबसे महंगा पदार्थ                                        ब्रह्माण्ड का सबसे महंगा पदार्थ ब्रह्माण्ड का सबसे महंगा पदार्थ है एंटीमैटर, जिसका एक ग्राम ही इतना महंगा है कि कई देशों की सरकार मिलकर भी इसे खरीद नहीं सकती। इसके एक ग्राम की कीमत करीब 3,12,500 अरब रुपये है। इस ब्रह्माण्ड के सभी पदार्थ मैटर के बने हैं लेकिन हर पार्टिकल (कण) के लिए, उसके जैसा लेकिन उससे पूरी तरह विपरीत एक एंटी-पार्टिकल होता है। इन एंटी-पार्टिकल्स में एक सामान्य पार्टिकल जैसे सभी गुण मौजूद होते हैं। जब पार्टिकल और उनके एंटी-पार्टिकल एकदूसरे के संपर्क में आते हैं तो एक दूसरे को नष्ट कर देते हैं। नासा के अनुसार, एंटीमैटर धरती का सबसे महंगा पदार्थ है। एक मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख डॉलर तक लग जाते हैं और जहाँ एंटीमैटर बनाया जाता है वहां विश्व की सबसे पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था मौजूद होती है। ऐसी जगहों पर कुछ ख़ास लोगों के अलावा और कोई नहीं जा सकता है। इस एंटीमैटर को सर्न की प्रयोगशाला में बनाया गया था। इसका उपयोग मेडिकल लाइन, रॉकेट फ्यूल और न्यूक्लियर वेपन म
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चाय का आविष्काकिसने व कब किया?        चाय का आविष्कार सर्वप्रथम किसने व कब किया था। आविष्कार शब्द के पीछे गहन अध्ययन और कड़ी मेहनत होती है, तभी किसी नयी चीज़ की खोज संभव हो पाती है लेकिन जब कोई बहुत बड़ा आविष्कार अनजाने में हो जाये तो इसे किसी रोमांचक चमत्कार से कम नहीं समझना चाहिए और आज ऐसे ही एक दिलचस्प आविष्कार की बात करते हैं जिसने हमारी लाइफ को इतनी उम्दा खोज दी है कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़ी राहत बढ़ गयी है। एक ख़ास आविष्कार से जुड़ा ये किस्सा है चाय का, जिसे किसी ने खोजा नहीं है बल्कि चाय ने खुद आकर हमें खोज लिया है। ऐसे में क्यों ना, चाय के हमारी लाइफ में शामिल होने के इस किस्से को जाना जाए। तो चलिए, आज चाय का आविष्कार और चाय से पहली मुलाकात के बारे में जानते हैं। चाय का आविष्कार चाय का ये दिलचस्प इतिहास चीन से शुरू हुआ। आज से करीब 5000 साल पहले, जब एक बार चीन के सम्राट शैन नुंग अपने गार्डन में बैठे थे। उन्हें गर्म पानी पीने की आदत थी और उस दिन उनके गार्डन के एक पेड़ की कुछ पत्तियां उनके उबले पानी में आकर गिर गयी और उस पानी का रंग बदल गया लेकिन उसमें से आन
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आइये जानते हैं अधिकतर हवाई जहाज सफेद रंग के ही क्‍यों होते हैं। हवाई जहाज का नाम सुनकर आपके ज़ेहन में क्या आता है? बादलों के पार ऊँची उड़ान और एयरोप्लेन में बैठने का रोमांच, यही ना। लेकिन क्या आपने कभी एयरोप्लेन के रंग पर गौर किया है या फिर हवाई जहाज को सफेद रंग के अलावा किसी और रंग में इमेजिन किया है? शायद नहीं। ऐसे में क्यों ना, आज ये जानें कि हवाई जहाज का रंग ज्यादातर सफेद ही क्यों रखा जाता है। तो चलिए, हवाई जहाज के सफर के रोमांच में ये रोमांचक जानकारी भी जोड़ लेते हैं। अधिकतर हवाई जहाज सफेद रंग के ही क्‍यों होते हैं? हवाई जहाज का रंग सफेद रखने के पीछे वैज्ञानिक और आर्थिक कारण होते हैं। आइये, पहले जानते हैं वैज्ञानिक कारणों को- सफेद रंग एयरोप्लेन को गर्म होने से बचाता है  – ये तो आप जानते ही हैं कि प्लेन को ज्यादा समय धूप में ही रहना होता है और सूरज की किरणें सीधे इस पर पड़ती है। इन किरणों में इंफ्रारेड रेज भी शामिल होती है जो बहुत ज्यादा गर्मी पैदा करती है। ऐसे में सफेद रंग प्लेन को इस गर्मी से बचाता है क्योंकि सफेद रंग अच्छा रिफ्लेक्टर होता है जो सूरज की किरणों को 99 प